क्या आप टैली साॅफ्टवेयर की विशेषताएँ जानते है?
Do you know the features of Tally Software?
- सरल प्रयोग विधि:- टैली का प्रयोग करना बहुत आसान है। टैली वाउचर में एंटर की सुचनाओं सें सभी प्रकार की रिपोटर्स एंव अंतिम एकांउटस स्वतः तैयार हो जाते है। यूजर को वाउचर के माध्यम से व्यापारिेक लेन-देनों को केवल रिकार्ड करना होता है। शेष सभी कार्य टैली द्वारा स्वंय ही किए जाते है।
- मल्टीपल रिपोट- टैली में एक मल्टीपल रिपोर्ट्स तैयार की जा सकती है। इन्हें टैली स्वंय ही तैयार करती है। इसमें एक रिपोर्ट को दूसरी रिपोर्ट के साथ इंटरलिंक भी किया जा सकता है।
- एलीयाज नेमः- टैली के अन्र्तगत एकाउंट मास्टर और इन्वेेंट्री मास्टर में एलियाज की सुविधा भी प्रदान की गई है, जिससे यूजर एक ही मास्टर का एलियाज (उपनाम) तैयार कर सकता है। अर्थात् मास्टर को किसी दुसरे नाम से भी रिकॅार्ड किया जाता है।
- ई-मेलः- टैली में किसी भी एकाउंट रिपोर्ट या स्टेटमेंट रिपोर्ट को सीधे ही ई-मेल द्वारा भेजा जा सकता है। इसके लिए किसी बाह्य ई-मेल साॅॅॅॅॅफ्टवेयर की आवश्यकता नही है।
- वेब पब्लिशिंगः-टैली में तैयार की गई रिपोर्टस को सीधे ही वेब ब्राउजर के द्वारा पब्लिशिंग कर सकते है तथा रिपोर्ट को HTML फॅारमेट में देख सकते है।
- बेकअप और रिस्टोर्सः- टैली रिकाॅर्ड किया गया डाटा किसी भी संगठन अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। लेकिन यह साॅॅॅफ्टवेयर होने के कारण सुरक्षित नही होता है। इसे सुरक्षित रखने के लिए इसका बैंकअप किया जा सकता है। जिससे आवश्यकता पड़ने पर इसे रिस्टोर किया जा सकता है।
- ओडिटः- टैली में सभी मास्टर व वाउचर को ओडिट के द्वारा चैक किया जा सकता हैै। जिससे वाउचर और मास्टर में हुई गलती को सुधारा जा सके।
- सिक्योरिटी कंट्रोल:- टैली में कम्पनी पर आधारित सिक्योरिटी सिस्टम सुरक्षा प्रणाली कोे लागू किया जा सके जिससे कम्पनी का डाटा अधिक सुरक्षित रहता है। सुरक्षा प्रणाली के अन्तर्गत कई यूजर्स द्वारा कम्पनी को मैनेंज किया जा सकता है।
- डाटा -एक्सपोर्ट:- टैली के डाटा को एक्सपोर्ट करके उसे नोन टैली फॅारमेट (ASCII, SDE,HTML,XML ) में बदला जा सकता है। एक्सपोर्ट किए गए डाटा को टैली साॅफ्टवेयर के बिना भी देखा जा सकता है।
- डाटा -इम्पोर्टः- टैली मेें एक्सपोर्ट किए गए डाटा को अन्य साॅॅफटवेयर या कम्पनी में इम्पोर्ट कर सकते है।
- कम्पनी डेटा को तोड़ना:- कम्पनी के डेटा को अलग-2 फाइनेशियल ईयर में तोड़ा जा सकता है। इससे कम्पनी के चालू वित्तिय वर्षो को कई वितिय वर्षो में विभाजित किया जा सकता है।
- प्रिन्ट करना:- टैली में किसी भी डाटा एकाउंट रिपोर्ट आदि को प्रिन्ट कमाण्ड के माध्यम से प्रिन्ट किया जा सकता है, जिससे टैली डाटा हार्ड फाॅरमेट में प्रांप्त किया जा सके।
- डेटा से जुड़ना:- टैली के द्वारा को ODBC के माध्यम से किसी अन्य साॅफ्टवेयर जोड़ा जा सकता है तथा किसी भी डेटा को नोन साॅॅफ्टवेयर (वर्ड, एक्सेेल आदि) में ले जाया जा सकता है।
- काॅस्ट सेंटर और काॅस्ट कैटेगरी:- टैली में कम्पनी के डेटा को अलग-2 काॅस्ट सेंटर और काॅस्ट कैटेगरी में मेटेन किया जा सकता है । जिससे डेटा को मैनेज करने में आसानी होती है।
- ब्याज की गणना:- टैली में किसी भी एकाउंट पर ब्याज को लागू किया जा सकता हैं जिससे बकाया राशि पर ब्याज की गणना की जा सके। टैली ब्याज की गणना स्वंय ही करती है।
- बजटः- टैली में बजट भी तैयार किया जा सकता है। जिससे बजट में शामिल किए गए एकाउंट की अनुमानित राशि और वास्तविक राशि में तुलना की जा सके।
- मल्टी करेंसी:- टैली में किसी भी कम्पनी को मल्टीपल कंरेसी (विदेशी मुद्रा) में भी मेटेन किया जा सकता है।
- बैंक समाधान:- टैली में एकाउंट और बैंक पासबुक में आए अंतर का समाधान किया जा सकता हैं। इसके लिए बैंक एकांउट बैंक पास बुक के सामान बनाया जाता है।
- वाउचर क्लास:- टैली में तैयार किए गए वाउचर क्लास भी तैयार की जा सकती हैं इससे शीध्रता व शुद्वता से डाटा एंट्री की जा सकती है। वाउचर क्लास से आप वाउचर एंट्री अपनी इच्छानुसार बना सकते है।
- वाउचर टाईप:- टैली में भिन्न -2 लेन-देनों को रिकाॅर्ड करने के लिए अलग -2 वाउचर्स तैयार किए गए है। इसके अलावा स्ंवय के वाउचर भी तैयार कर सकता हैं।
- पोस्ट डेटेड व आॅपशनल वाउचर:- टैली में पोस्ट डेटेड और आॅपशनल वाउचर की सुविधा भी दी इनके द्वारा किसी भी एकाउटिंग वाउचर को पोस्ट डेटेड आॅपशनल वाउचर बनाया जा सकता है।
- बिल वाइज डिटेलः- टैली में बिल वाइंज डिटेल्स को भी लागू किया जा सकता है।इसे लागू करने से बिल पेयबल या बिल स्टेेटमेंट तैयार की जा सकती है। बिल वाइज डिटेल्स किसी भी पार्टी (सड़री क्रेडिटर ,संडरी डेटर आदिद्ध पर लागू की जा सकती है। इसे लागू करने के बाद बिल पेयबल स्टेंटमेंट टैली स्वंय तैयार करती है।
- ग्राफ:- टैली में फाइनेशियल रिपोटर्स को ग्राफ के साथ भी देखा जा सकता है। इस ग्राफिकल रिपोर्ट को प्रिंट किया जा सकता है।
- कीमत प्रतिशत में:- टैली की रिपोर्ट व एकाउंट स्टेटमेंट को प्रतिशत में भी देखा जा सकता है । जिससे मूल्य की दक्षता व उसमें तुलनात्मक अध्ययन किया जा सके ।
- मल्टीपल कवेरी:- टैली शर्तो के आधार पर कवेरी बिल्डर प्रदान करता है। इससे आप टैली की रिपोटर्स को अपनी इच्छानुसार तैयार कर सकते है।
- आर्डरः- टैली में आर्डर सिस्टम को भी लागू किया गया है जिससे पार्टी से माल खरीदने बेचने से पहले आर्डर के द्वारा उसे सूचित किया जा सके। आर्डर को परचेज आंर्डर व सेल्स नामक दो वाउचर्स में विंभाजित किया गया है।
- चालानः- टैली में चालान की सुविधा भी प्रदान की गई है। चालान की प्रयोग माल (केवल स्टाॅक) को रिकार्ड करने के लिए किया जाता है यह केवल स्टाॅक को ही प्रभावित करता है। इन्वेंट्री में चालान बहुत महत्वपूर्ण होता है।
- मल्टी आर्डर इन्वायसः- टैली मेें मल्टी आर्डर इन्वायस और मल्टी इन्वायस आर्डर की सुविधा दी गई है। इसमें इन्हें क्रास लिकिंग के द्वारा जोड़ा जाता है। जिससे एक इन्वायस के साथ मल्टीपल आर्डर और एक आर्डर के साथ मल्टीपल इन्वायस को जोड़ा जा सकता है।
- मल्टी चालान इन्वायसः- आर्डर की भांति चालान को भी इन्वायस के साथ जोड़ा जा सकता है। एक इन्वायस के साथ मल्टीपल चालान को जोड़ सकते हैं। इसी प्रकार एक चालान से मल्टीपल इन्वायस को भी जोड़ा जा सकता है।
- बैच वाइज डिटेल्स:- टैली में इन्वेंट्री को मैनेज करते समय स्टाॅक को अलग-2 बैच मेें मेटेन कर सकते है।स्टाॅक को बैच वाइज मेटेन करते समय इसकी उत्पादन एंव एक्सपाइरी विधि भी एंटर कर सकते है।
- मल्टीपल प्राइस लिस्ट:- व्यापार में अलग-2 ग्राहकों के लिए अलग-2 प्राइस लिस्ट तैयार की जा सकती है इसके अलावा माल की संख्या के आधार पर दी जाने वाली छूट को इस लिस्ट में शामिल किया जा सकता है।
- मल्टीपल गोडाउन:- टैली में मल्टीपल गोडाउन तैयार किए जा सकते है, जिससे स्टाॅक अलग-2 गोडाउन्स में मैनेज किया जा सके।
- री -आर्डर लेवलःः- टैली में(exception) और पैरामिटरों के आधार पर शुद्व अभिकलन द्वारा इन्वेन्ट्री को बेहतर तरीके से कट्रोंल किया जा सकता है इससे आप माल खरीद के समय आर्डर स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर निर्णय ले सकते है।
- यूनिट आफ मेजरमेंटः- स्टाॅक आइटम मैनेज करने के लिए किसी ना किसी यूनिट की आवश्यकता होती है। एक स्टाॅक आइटम को मुख्य यूनिट केे अलावा अल्टरनेट यूनिट में भी मैनेज किया जा सकता है। इस प्रकार स्टाॅक आइटम को मैनेज करने के लिए मुख्य यूनिट और अल्टरनेट यूनिट का प्रयोग कर सकते हैं।
- स्टाॅक ट्रांसफरः- टैली मल्टीपल गोडाउन में स्टाॅक मेटेन करने की सुविधा प्रदान करती है। मल्टीपल गोडाउन में स्टाॅक को एक गोडाउन मे ट्रासंफर करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए स्टाॅक जर्नल वाउचर की सुविधा प्रदान की गई है; जिसमें आप स्टाॅक को इंटर गोडाउन ट्रांसफर कर सकते है।
- स्टाॅक एडजेस्टमेंट:- स्टाॅक के मैनेज करते समय कई बार स्टाॅक में अन्तर पाया जाता है। यह अन्तर स्टाॅक के खराब होने या गणना में की गई गलती से आ जाते है। टैली में इस अंतर को समाप्त करने की सुविधा भी दी गई है। स्टाॅक में पाए गए अन्तर फीजिकल स्टाॅक वेरिफिकेशन (verification) से दूर कर सकते हैं।
- स्टाॅक ग्रुप और स्टाॅक कैटेगरीः- स्टाॅक आइटम को प्राइमरी स्तर पर किया जा सकता है। स्टाॅक आइटम की संख्या अधिक होने पर उसे स्टाॅक ग्रुप या कैटेगरी मेें बांटा जाता हैं। जिससे स्टाॅक सम्बधित रिपोर्ट को कवेरी के आधार पर किया जा सके।
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